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Thursday 31 March 2016

तीसरी क्लास तक पढ़े एक इंसान ने कैसे बनाया अपना मुकाम ! भारत का मिला कौन सा उच्च सम्मान ! जाने हलधर कवि नाग को

तीसरी तक पढ़े इंसान को कैसे मिला पद्मश्री ? क्यों की गयी उन पर पीएचडी !
दोस्तों यह खबर उनके लिए बहुत जरुरी है जो कम पढ़े लिखे है लेकिन उनकी सोच बहुत आगे है ! जिनके अन्दर कुछ करने का जज्बा है वे चाहते है की उनको भी कुछ मुकाम हासिल हो तो हम आपको बाते है ऐसे ही इन्सान के बारे में जिसकी चर्चा आजकल सभी न्यूज़ चैनल, न्यूज़ पेपर सोशल मीडिया आदि पर हो रही है 

हम जिनकी चर्चा कर रहे हो यह वो इन्सान जो सिर्फ पढ़ने का मतलब किताबी ज्ञान को नही मानते है ! किताबी ज्ञान से हमको सिर्फ आंकड़ो की जानकारी तो हो सकती है लेकिन जीवन के बारे में नही जान सकते है अगर हमको जीवन के बारे जानना है तो उसके लिए हमें अलग से भाव होंगे तभी हम उसको जान सकते है ! लेकिन आजकल की शिक्षा से हम इंसान कम मशीन ज्यादा बन रहे है लेकिन कवि हलधर नाग ने यह सभी की गलत साबित किया है जिस इंसान ने किताबी ज्ञान पाया है वह ही सफलता ,नाम , यश पा सकता है ! अगर आपके अन्दर है जज्बा लगन सही उद्देश्य तो मंजिल आपको भी मिलेगी मुकाम आपको हासिल होगा !
कवि हलधर नाग जिन्होंने अपनी तीसरी क्लास तक की पढ़ी की हो वह अगर आज चर्चा के विषय बनते है तो उसके पीछे उनका वो ज्ञान है जो उनको अपने परिवेश से मिला है ! हम पढ़ लिख कर तो एक ऐसे कवि या लेखक बन सकते है जिनकी किताबे टॉप सेलर बन सकती है लेकिन हमको वह यश नही दिला सकती जो आम जन मानस के मन में बैठ सके !
हलधर के पास इसी कोई डिग्री नही है जिसके लिए उनको यह मान मिला हो ! उनके पास है सिर्फ वह ज्ञान जिसकी बदौलत उनको भारत सरकार  द्वारा 2016 का  पद्माश्री का सम्मान   दिया गया है और एक और बात जो उनके मान सम्मान को और ज्यादा करी है वह बात है की उनके ऊपर 5 छात्रों के द्वारा पीएचडी (PHD )पूरा किया गया !
जाने और हलधर के बारे 
कहते है की कवि हलधर नाग को जो भी कविता उन्होंने लिखी है वह कविता उनको आज भी याद है ! वह एक दिन करीब चार कार्यक्रम में भाग लेते है ! उनकी कविता अधिकांश स्थानीय भाषा कोसली की है 
हलधर नाग का जन्म करीब 1950 में बारगढ़ जिले एक गाँव के गरीब परिवार में हुआ था ! बचपन में ही पिता का साया सर से हट गया था तो परिवार की जिम्मेदारी के कारण उनके एक हलवाई यंहा पर बर्तन धोने की नौकरी भी करनी पड़ी ! कुछ समय बाद उनको एक स्कूल में बावर्ची की नौकरी मिल गयी और उनकी कविता लिखने का सफ़र भी यही से शुरू होने लगा और उनकी सबसे पहली कविता " धोड़ो बरगच " ( द ओल्ड बनयान ट्री ) नामक कविता एक स्थानीय पत्रिका में छपी ! उन्होंने पत्रिका को करीब अपनी चार कविता भेजी जो चारों के चारों छापी गयी !

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उनकी उपलब्धी :
आज उनको उड़ीसा का लोक कवि रत्न के नाम से जाना जाता है ! उनकी सादगी और रहन सहन और कविता ओ के कारन उन के ऊपर शोध किये जा रहे है ! उन्होंने करीब 20 महाकाव्य लिखे है ! उनके लेखन के एक  सकंलन  हलधर ग्रंथावली - 2 को संभलपुर विश्व विद्यालय के पाठयक्रम में शामिल किया जा रहा है ! उनकी कविता ज्यादातर सामजिक , प्रक्रति , पौराणिक , धर्म पर आधारित कथा है ! उनकी कविता से समाज के भीतर सामजिक भावना को मजबूत करने में किया जा रहा है !


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haldhar naag 

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