भारत में बढ़ते रेप केस के मुख्य कारण ! दुष्कर्म क्यों होते है लडकियों के साथ में

भारत में बढ़ते रेप केस के  मुख्य कारण ! दुष्कर्म क्यों होता है लडकियो के साथ 

गजब की दुनिया
shuttererstock repa case
बलात्कार शब्द सुन कर कुछ समय पहले बहुत ही गुस्सा आता था , और आश्चर्य होता था लेकिन जिस तरह से आजकल भारत में महिलाओ  के प्रति हो रहे रेप के केस  में जैसे कोई पंख लग गए हो उस प्रकार से तेजी से बढ़ रहे है, उस से अब ना जाने को रोजाना का रूटीन सा बन गया है इसके के लिए कौन जिम्मेदार है !  आज अपने देश के अन्दर जिस तरह से यह दुष्कर्म की घटना हो रही हैउस से लगता है की हम जैसे किसी जंगली सभ्यता के हिस्सा है जैसे की आज भी हम कोई जंगलो में रहने वाले लोग है आज जब दुनिया इतना विकसित हो गयी है जिसमे सभी का आपना नजरिया है उसमे हम अपने मन मुताबिक कैसे किस के साथ यह सब कर सकते है !
 भारत जैसे देश में जिस के संस्कार में महिला को पूजा के योग्य बताया गया हो ! जिसके हर कदम पर महिला की इज्जत की जाती हो , जिस देश में अपने से 10 साल बढ़ी उम्र की महिला को माँ का दर्जा दिया जाता हो ! और अपनी हम उम्र को लड़की , महिला को बहिन मना जाता हो , और अगर कोई लड़की उम्र खुद की उम्र से 10 साल कम हो तो उसको अपनी पुत्री ,बेटी समझा जाता हूँ.
उस जगह पर इस तरह के अपराध होते हो तो क्या समाज को सोचना नही चाहिए की आखिर वह कौन सी वजह जिनके कारण यह सब घटनाओ में बढ़ोतरी हो रही ?
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आये दिन टीवी पर इस तरह के मुददों पर चर्चा होती है की लेकिन कोई भी इस अपराध की तह में जाने से कतराते है इसमें चाहे आपना आर्थिक हित हो या और कोई भी वजह ! लेकिन हमने भी इसके पीछे के कारण खोजनी की कोशिश की है जिसमे से हमको कुछ बिंदु मिले जिन पर हम आज आपका ध्यान दिलाने की कोशिश कर रहे है हो सकता है हम जिन बिंदु को आपके सामने रख रहे है वे सब इन घटना के पीछे सीधी तरह से प्रभावित ना करते हो लेकिन क्या कोई इस बात को भी नही मान सकता है की यह जिम्मेदार भी ना हो !हम बात कर रहे है भारत जैसे देश बढ़ते बलात्कार की घटनो का क्या कारण है !

1 हिंदी फिल्मो का नजरिया : -
बहुत से लोग हमारे इस बिंदु से सहमत नही होंगे क्योकि हिंदी फिल्मो जिनको हमारे देश में आधुनिक सोच का एक मात्र प्रतिक मना जाता है तो जो लोग आधुनिक सोच रखते है वे लोग कैसे अपनी सोच को गलत मान लेंगे हम जिस सोच के साथ आगे बढ़ रहे है भला कैसे हम ही उस सोच को रेप के लिए जिम्मेदार मान लेंगे ! लेकिन हम आपको आज इसके कुछ उन बिन्दुओ पर ले जाना चाहते है जिसके कारण हम भी इस को दोषी मानने को मजबूर हुए है ! ऐसा नही है की हमारा नजरिया कोई फिल्मो के खिलाफ का हो हम को भी फिल्मे पसंद है लेकिन क्या फिल्मो में दिखाना चाहिए उसकी सीमा क्या होनी चाहिए इन सब का ध्यान नही रखना चाहिए !
आपने देखा होगा की हमारी हिंदी फिल्मो की जो कहानी होती है उसमे 2 - 3 सीन बलात्कार के होते है लेकिन क्या आपने कभी इस बात का ध्यान दिया की पश्चिम की जो फिल्मे होती है उनमे बलात्कार का सीन नही होता है अगर किसी में बलात्कार का सीन है तो वह उसको रेप की तरफ नही दिखाते है हमारा कहने का मतलब है की अपनी ताकत , अपनी हवस की पूर्ति के लिए बलात्कार नही क्या जाता है ! ( जैसे की holybood की फिल्मो में होता है की कुछ लडकियों को जासूसी की ट्रेनिंग दी जाती है तो उस ट्रेनिंग के हिस्से में कुछ लडकियों के साथ रेप किया जाता है तो इसको आप रेप नही कह सकते हो क्योकि यह ट्रेनिंग का हिस्सा है ना की आपनी ताकत , या अपनी हवस की पूर्ति ) लेकिन हिंदी फिल्मो में सिर्फ बलात्कार को ही दिखा जाता है तो क्या इसका असर देखने वालो पर नही पड़ेगा अगर कोई यह कहे की नही इसका असर यह नही पड़ेगा तो आप सोच अगर इन फिल्मे के सीन का कोई भी असर नहो होगा तो क्या वह लोग मुर्ख है जो करोडो रूपये उस विज्ञापन पर खर्च करते है जिसक कोई भी असर नही होगा ! आप देखते हो कैसे कंपनी लाखो करोडो रुपये 1 मिनट के विज्ञापन के लिए पैसा पानी की तरह बहाती है !

हम जब इस बात को लेकर लोगे के बीच में चर्चा करते है तो कुछ अपनी बातो में इस बात का जिक्र करते है की पश्चिम के देशो में तो पोर्न फिल्मे भी बनती है तो क्या उस जगह पर रेप बहुत ही ज्यादा होने चाहिए ऐसा नही है ! पोर्न या नग्नता पश्चिम की जिंदगी का हिस्सा है ! लेकिन हमारे देश में उसको शालीनता में रह कर सिर्फ जिंदगी की जरुरत के हिसाब से उपयोग करने का ही मकसद है लेकिन पश्चिम में शरीर सिर्फ भोग का , माध्यम है जबकि भारतीय संस्कृति में शरीर इस जीवन को परम पिता परम्श्वेर के पास जाना के एक मात्र साधन है ! रेप तो वंहा भी होते है !

2  यौन शिक्षा का अभाव :-  आपने देखा होगा की भारत में आज भी लोग अपने बेटे या बेटी से यौन शिक्षा पर खुल कर बात नही करते है लेकिन क्या इसका मतलब यह निकला जाए की भारत में यौन शिक्षा नही दी जाती है तो हमारा मानना है की यह सब गलत है जहा तक हमरी जानकारी में है उत्तर भारत में यौन शिक्षा देना सबसे बढ़िया तरीका समाज के अन्दर मौजूद है बस जरुरत थी उसकी सही दिशा देने की लेकिन आज की
लापरवाही ने उस तरीके को भी फुह्दत में बदल कर रख दिया है हम बात कर रहे है जब किस के घर में लड़के के विवाह होता है तो जिस दिन लडके के बारात लड़की वालो के घर जाती है उसी रात को जब घर की सभी महिला अपने क्षेत्र में एक कार्यक्रम करती है जिसको उत्तर भारत में खोइया के नाम से जाना जाता है इसमें सिर्फ महिला , लड़की को अनुमति रहती है इसके माध्यम से भारतीय संस्कृति में अपने बेटी को यौन शिक्षा देना का चलन था इसका लेकिन आज यह तरीका बिगाड़ गया है ! इसलिए अब लडकियों के व्यवहार में भी बदलाव आ रहे है और लड़के के व्यवहार में भी

3 समय पर न्याय ना मिलाना : -  जब कभी भी कोई भी अपराध हो और उसकी सजा जीतनी जल्दी मिल जाती है तो उसके करने वालो के मन में एक डर हो जाता है लेकिन अगर कोई अपराध की सजा मिलाने में वर्षो लग जाये तो उस अपराध में और ज्यादा बढ़ोतरी हो जाती है क्योकि उस गुनाह को अंजाम देने वाले के मन किसी का खौफ नही होता है ! इसके लिए गुनाहगार के मन में खौफ होना जरुरी है ! क्योकि जिस मानसिकता लोग रेप जैसे अपराध को अंजाम देते है वो कुंठित मानसिकता के होते है और उनके मन जो कुंठा होती है वह उसकी पूर्ति के लिए अपने से कमजोर लोग के साथ यह कार्य अंजाम  देते है !
4 नजरिया का बदलाव :- आज समय बदल रहा है लेकिन हमको अपने नजरिये में भी बदल करना होगा आज लड़की लडको के साथ कंधे से कंधे मिलकार कार्य करने का जज्बा रखती है और फिर भारतीय संस्कृति में तो महिलाओ को बराबरी का दर्जा दिया हुआ है ! बहुत सी महिलाओ ने अपने पति के साथ लड़ाई के मैदान में अपनी वीरता का परिचय दिया है तो हमको आज सभी महिला को सम्मान के नजरिये से देखने की जरुरत है आज की महिला कोई कमजोर महिला नही है आज की नारी जब पढ़ लिखाकर आपके साथ हर फैसले में योगदान देने का साहस रखती है ! तो उनको आगे बढ़ने का मौका भी देना चाहिए लेकिन फिर भी आज कुछ लोगो के नजरिये औरत सिर्फ भोग के ही वस्तु है इसके लिए विज्ञापन की दुनिया जिम्मेदार है जिन्होंने एक महिला को सिर्फ देह दिखने का सामान समझ लिया है ! आपने अपनी टीवी या किसी औ माध्यम से एक विज्ञापन देखा होगा की एक पार्क है उसमे एक लड़की और उसके पिता दौड़ लगते है , जब दौड़ लगाते - लगाते उसके पिता थक जाते है तो वह लड़की अपनी जेब से एक चोकलेट का रेपर निकलती है और अपने पिता से कहती है की एक चक्कर और , उसके बाद लड़की सिटी बजती है तो  पार्क की झाडी में से एक लड़का निकलता है और उसके साथ बैठ कर बातचीत करता है ! आप इस विज्ञापन से क्या अर्थ निकल सकते हो !
एक दुसरा  विज्ञापन है  फर्नीचर का है उसमे लकड़ी का बोर्ड होता है उसकी बिशेषता बताने के लिए एक लड़की को लड़के के साथ एक अलग स्थिति में देखते है जबकि अगर वह सीन नही होता तो क्या उस लकड़ी का विज्ञापन नही हो सकता था लेकिन यह सब मानसिकता पर निर्भर करता है की हम महिला को क्या समझे !

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