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Saturday 30 April 2016

जीवन में ख़ुशी कैसे प्राप्त करे जीवन में ख़ुशी के लिए क्या करे

                जीवन में ख़ुशी कैसे प्राप्त करे  

जीवन में ख़ुशी  तो सभी  चाहते है ! ख़ुशी ही जीवन का मकसद होता है सभी ख़ुशी के लिए तो अपने जीवन को लगा देते है 

आज के समय में जिधर देखो उसके पास किसी के लिए वक्त नही है ! सभी अपने अपने कार्य में व्यस्त है ! अगर गलती से किसी के घर पर कोई मेहमान आ जाये तो उस घर में भूचाल आ जाता है जिसमे भावनाए सिर्फ पैसे की मोहताज होती है ! आज इन्सान पैसे को ज्यादा से ज्यादा कमाना चाहते है और उसको अपने पास रखना चाहते है ! पैसे से मालिक बनना चाहते है , एक इन्सान हो कर दुसरे इन्सान पर सत्ता करना चाहते है ! जिंदगी की सारी वस्तुओ इन्सान ने प्राप्त कर ली है , लेकिन फिर भी इन्सान ख़ुशी नही है ! मै आपको अभी कुछ घटी घटनो से यह बात बताने की कोशिश करूँगा की इन्सान ख़ुशी क्यों नही है ! 
happy kaise rahe
happy

अभी कुछ दिनों पहले अपने यह खबर सुनी होगी की टीवी कलाकार  आनंदी (प्रत्यूषा  बनर्जी ) जो की टीवी पर आने वाले प्रसिद्ध कार्यक्रम बालिका वधु में आनंदी को किरदार किया था ! खबरों में कोई इसको आत्महत्या बता रहा है तो कोई इसके पीछे किसी का हाथ बता आकर हत्या का केस मान रहे है यह सब तो जांच होने पर ही पता चलेगी लेकिन क्या हो सकती है इसके पीछे वजह ? 

दूसरी घटना भी इसी चमकदार दुनिया का एक अँधेरे कोना है 
आपने निशब्द फेम अभिनेत्री जीया खान की मौत वाली घटना भी सुनी होगी !
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तीसरी घटना में आपको हम ध्यान दी लायेंगे , आजकल चल रहे बैंक के उधार ले कर नही चुकाने वाले शख्स की घटना का जिक्र कर रहे है ! यह सब घटाने यह साबित करती है की इन्सान कितना सुखी है ! आप इन सब की जिंदगी को देखो तो शायद आप यह भी कल्पना नही कर सकते हो की यह लोग दुखी भी होंगे लेकिन दुःख इनको भी है और इनको इस मुकाम पर लेन वाले लोग भी दुखी है तभी तो इनके साथ यह अंजाम दिया है ! 
कहने का मतलब यह है की इन्सान जिसको जिंदगी का सुख समझ कर जिस को पाने के लिए अपना सारा जीवन लगा देते है , उसमे तो सिर्फ दुःख ही मिलता है ! अगर आपको इसी प्रकार का सुख चाहिए तो आपको कुछ भी करने की जरुरत नही है लेकिन अगर आपको सच्चा सुख चाहिए तो आपको अपने जीवन में यह करना पडेगा !

सच्चा सुख कैसे प्राप्त करे 

जब से दुनिया का निर्माण हुआ है तब से इन्सान ने जीवन में सुख प्राप्त करने के जतन किये है और इन्सान सच्चा सुख , ख़ुशी ,आनंद आदि की अनुभूति भी की है लेकिन आज के इन्सान ने अपने चारो तरफ झूठ का ऐसा आवरण ओढ़ लिया है की उसको उस से बाहर कुछ भी नही दिखाई देता है ! 
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हीन भावना का त्याग 
अगर आपको अपने जीवन में सच्चा सुख लेने है, जिंदगी को आनंद से जीना है तो आपको सबसे पहले तो आपने मन से किसी के प्रति हीन भावना का त्याग कर होगा ! क्योकि जब हमारे मन में किसी के प्रति हीन भावना होती होती है तब हमारे मन में ऐसा भाव जाग जाता है की हमको इस से दूर रहना चाहिए , दूर रहने के लिए आप कुछ भी गलत कर सकते हो ! इसलिए अपने मन से हीन भावना को खत्म कर दो 
एक समान रहना 
जींदगी में इन्सान कभी कभी इसे भी दिन देखता है जब उसके पास कोई नही होता है सभी उस से दूर भागते है कोई भी इन्सान उसके पास नही आना चाहते है जो दोस्तों का सब तरह से सहयोग करता था वह दोस्त भी उसको देख कर अपना चेहरा छिपा लेते है ! दुनिया में ऐसा लगता है जैसे की उसक कोई भी नही तब अगर कोई इन्सान दुखी हो और जब कभी जींदगी में ऐसा वक्त आ जाये की चारो तरफ उसकी चर्चा हो , सभी उसकी ही बाते करें सब लोग उसका सम्मान करे , उसको अपने पास आने अपना मान समझे , दोस्तों में उसका मान सम्मान हो उसके पास दुनिया का सारा सुख भोगने लायक सुविधाए हो तब अगर इन्सान ज्यादा ख़ुशी महसूस करे ,अपने को भाग्यशाली समझे 
अगर आपका स्वभाव भी ऐसा है तो आपको यह स्वभाव भी छोड़ना पडेगा क्योकि जीवन में ना जाने कितनी बार इन्सान का जीवन बदलता है कोई नही जन सकता है आज अगर आपके पास सब कुछ है , आप अपने जीवन से खुश है आपने अपने जीवन के लिए बहुत कुछ जमा कर लिया है लेकिन तभी आपको अपने घर में सो रहे हो और अचानक आपको हार्ट अटैक आ जाये तो फिर आपकी सभी योजना रखी रह जाएँगी या फिर अचानक कोई भूकम्प आ जाये और उसमे सबसे अधिक सुख देना वाली चीज खत्म हो जाये तो 
मेरे कहने का तात्पर्य यह की आप एक बार आराम से अपनी आँखे बंद कर के और फिर सोचे की जिंदगी में आपके लिए सब से जरुरी चीज क्या जिनके बिना आप  नही रह सकते हो 
जब सोचो तो आप को मालुम होगा की जिनके पीछे हमने अपना सारा जीवन लगा दिया वे सब तो हमारे जीवन को जीने के मात्र साधन है जीवन तो नही जीवन तो इनके बिना भी चल सकता है अगर जीवन नही चालेगा तो वह वस्तु तो उस परम पिता परमेशर ने पहले से ही उपलब्द करा रखी है, फिर हम क्यों भागम भाग में लगे हुए है ! और जिन चीजो के लिए हम प्रयास कर रहे है वह सब तो धुप छाँव की तरह आने में लगी रहती है ! अब आप सोच रहें होंगे की फिर क्या हमको कार्य करना छोड़ देना चाहिए या फिर पैसे के लिए कोई भी कार्य न करे ! अरे मैंने ऐसा तो नही कहा है की आप पैसे या धन के लिए कुछ भी ना करो करो मगर उतना जितने में आपको अपना सच्चा सुख न खोना पड़े ! 

देने का भाव जगाना 

 हो सकता है मेरे अनुभाव गलत हो सकता है लेकिन पूरी तरह से गलत नही हो सकता है ! मै पहले जब भी अपनी बाइक से जाता तो मुझे अगर कोई अनजान व्यक्ति मुझे रोकता तो मै नही रुकता था लेकिन एक दिन एक बुजर्ग इन्सान रस्ते में धुप में खडा था मै अपनी गाडी से किस काम से जा रहा था मेरे दिमाग में कुछ परेशानी के भाव थे लेकिन जब रस्ते में मिले उस बुजर्ग ने मुझे रोकने के लिए ईशारा किया तो मै नही रुका लेकिन जब मै थोडा सा आगे निकल आया और उसके बाद ना जाने क्यों मै वापिस आया और उस व्यक्ति को अपनी गाडी पर बैठ लिया और फिर जब मैंने उसने पूछा की कंहा जाना है तो थोड़ी दूर जाकर बोले यंही पर छोड़ दो मैंने उनको छोड़ दिया लेकिन मुझे यह सब करने के बाद कुछ अलग महसूस हुआ ! मन में थोड़ी सी शांति का अनुभव हुआ जिस चीज केलिए मेरे मन में उथल पुथल थी उस से ध्यान हटा और मन सकून की भावना जगी तो अच्छा लगा ! 
मेरे कहने का अनुभव यह की हमको जब भी मौका मिले और जीतनी अपनी समर्थ है उतनी दूसरी की मदद करनी चाहिए और कभी कभी आप अपनी परेशानी में दूसरो की मदद करो तब देखना इसका असर आप पर  ज्यादा करेगा !

खुद के लिए जिये

आपको यह देख कर अटपटा सा लग सकता है की अभी तो मैंने दूसरो को देने की बात करी है और अब मै अपने लिए करने को कह रहा हूँ ! दोस्तों मेरे ऐसा कहें के पीछे एक सोच है जब हम अपने बारे में सोचे तो हमको उसमे थोडा सा दुसरे के बारे में भी सोचने का भाव रखे ! जैसे की मेरे मानना है की जब तक हम अपने लिए नही सोचेंगे तब तक हम किसी और के लिए नही सोच सकते है ! जैसे की अगर आप भूखे हो और उस वक्त आप से कोई भी खाना मांगे तो क्या उसको दे सकते हो ? दे सकते हो मगर कितनी बार , जब तक दे सकते हो जब तक आप में समर्थ हो लेकिन जब आप में ही ताकत नही रहेगी तो फिर कैसे दे सकते हो इसलिए पहले अपने बारे में सोचो तब जाकर दूसरो की सोचो इसलिए मैंने कहा है की अपने लिए जीयो 

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