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Monday 11 April 2016

बेस्ट सच्ची दोस्ती की पहचान क्या है इन हिंदी

                 
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सच्ची मित्रता की पहचान 

आज के समय जिस प्रकार एक दुसरे पर विशवास करना बहुत ही कठिन हो रहा है ऐसे समय में भी सच्चे मित्र के साथ मित्रता कैसे निभाई जाती है हम आपको इस कहानी के माध्यम से बताने की कोशिश कर रहे है ! आज के दौर में जब अपने भी धोखा देते है तब किसी भी गैर पर भरोसा नही किया जाता है! लेकिन आज भी आपको कुछ लोग ऐसे भी मिल सकते है जो अपने मित्रता धर्मं हर परिस्थिति में निभाते है , चाहे इसके लिए उनको कितनी भी तकलीफ उठानी पड़े ! 

हमारी कहानी भी कुछ इसी ही मित्रता पर आधारित है __
श्याम  एक गरीब परिवार का लड़का था ! उसके माँ बाप बचपन में ही स्वर्गवास हो गया था ! उसको उसके चाचा ने पालन पोषण किया था 
वह अपने गाँव किसनपुर के पाठशाला में ही शिक्षा प्राप्त कर रहा था ! वह पढ़ने में बहुत ही होशियार था , वह हमेशा अपनी कक्षा में अव्वल आता था , लेकिन जब उसके माँ बाप बीमारी के कारन चल बसे तो उसके सामने बहतु बड़ा गंम्भी संकट आ गया था ! उसके चाचा ने उसको अपने साथ ही खेत पर काम करने को कहा और उसकी शिक्षा अधूरी रह गयी थी 
सच्ची मित्रता
सच्ची मित्रता 
श्याम का एक मित्र भी था जो उसके साथ ही पाठशाला में पढता था , उसके उसका नाम सुन्दर था , उसके पिता गाँव के जागीरदार थे , और वह बहत ही लालची थे एक पैसा भी किसी भी गरीब को , या धार्मिक आयोजन में नही देता था ! लेकिन सुन्दर का स्वभाव इसके विपरीत था , वह हमेशा सभी की मदद करता था ! श्याम की मित्रता सुन्दर से थी जब श्याम ने अपनी पढाई छोड़ने की बात सुन्दर को बताई तो वह उसकी मदद करने को कहने लगा की श्याम मै तुम्हारी पढ़ाई की भार उठा लूंगा तुम अपनी पढ़ाई मत छोडो , तुम बुत होशियार हो अगर तुम ठीक थक पढ़ लोगो तो तुमको नौकरी आसानी से मिल जाएगी लेकिन श्याम ने सुन्दर से कहा ही मुझे मेरे चाचा के साथ खेत में मदद करनी है , तब ही हमको खाने का इंतजाम हो पायेगा , श्याम ने सुन्दर का अहसान मन कर कह की सुन्दर तुम बुरा मत मनो अब उसकी किस्मत यही लिखा है तो यही सही ! 
दिन गुजरने लगे श्याम अब जवान हो गया था लेकिन दिन अभी भी गरीबी में ही गुजर रहे थे ऊपर से अब उसकी चाची भी उसको बुरा भला कहती रहती थी ! उधर सुन्दर आगे की पढ़ाई करने शहर चल गया और जब  भी सुन्दर गाँव आता तो अपने मित्र के बारे में जानकरी लेने की कोशिश करता मगर अपने पिता के डर  के मारे वह नही पूछ पता था एक बार सुन्दर अपने गाँव किसान पुर आया तो वह रस्ते से ही श्याम से मिलने चल गया तो उसने देखा की श्याम शरीर बहुत ही कमजोर हो गया है ! उसकी स्थिति को देखकर लगता है की बहुत दिनों से बीमार है ! सुन्दर श्याम से पूछ की यह क्या हालत बना राखी तो उसने बताया की उसकी बीमारी ने उसको घेर लिया है , लेकिन घर में पैसे की तंगी है तो अपना इलाज भी सही तरीके से नही करा पा रहा हूँ , तभी सुन्दर उठा और गाँव में से किसी की बैल गाडी किराये पर लाकर उसमे श्याम को बैठा कर शहर में डॉक्टर को दिखने चल दिया और शहर में ले जाकर उसको एक अच्छे से डॉक्टर दिखाया ! उसको कुछ दिनों के लिए उसी जगह पर रहना हो तो उसके लिए उसके पास पैसे कम थे वह वापिस गाँव आया और अपने घर गया ! अपने माँ बाप से मिला तो उसकी माँ बहुत खुश हुई ! अपने बेटे को लाड किया एक दिन बाद ! सुन्दर रात को जब सोने लगा तो उसके दिमाग में श्याम के इलाज के पैसे का इंतजाम कैसे होगा यह सोच रहा था ! तभी उसको कुछ याद आया और वह चादर ढक कर सो गया और सुबह अचानक सुन्दर ने शहर जाने की कह कर अपनी माँ से पैसे लिए तो जब उसकी माँ उस पूछने लगी की तुम अब की बार तो बहुत जल्दी जा रहे हो क्या बात है तो सुन्दर ने अपनी माँ से कह की उसके कोलेज में एक कार्यक्रम है और वह उसमे भाग ले रहा है इसलिए उसको कुछ ज्यादा पैसे की जरुरत है इसलिए वह वापिस जा रहा है आप मुझे पैसे दे दो ! सुन्दर पर उसके माँ बाप का भरोसा था की उनका बेटा कोई गलत काम के लिए कभी उनसे पैसे नही ले सकता है ! इसलिए उन्होंने उसको पैसे दे दिया ! पैसे लेकर जब सुन्दर शहर जा रहा तो वह रस्ते में यही सोचते हुए जा रहा था की अगर उसके मित्र की जरुरत नही होती तो वह कभी झूठ नही बोलता ! शहर जाकर वह श्याम के पास गया और श्याम से उसकी हालत पूछ तो श्याम को अब आराम था ! कुछ दिनों के बाद अब श्याम पूरी तरह से अच्छा हो चूका था तो वह गाँव लोट आया था ! सुन्दर शहर ही रुक गया था ! सुन्दर के पिता को अपनी फसल को शहर भेजने के लिए बैल गाड़ी वालो को बुलवाया तो सुन्दर के पिता ने उस गाड़ी वाले से कहा की शहर चलना है तो बताओ कितने पैसे लेगा तो गाड़ी वाले ने कहा की उतने दे देना जितना सुन्दर भाई ने मुझको दिए है , सुन्दर के पिता का माथा ठनक गया की सुन्दर को पूरी गाड़ी ले जाने की क्या जरुरत पड़ गई तो उसने फिर उस गाड़ी वाले से पूछ तो उसने पूरी बताई तो सुन्दर के पिता को सुन्दर पर बहुत गुस्सा आया ! सुन्दर कुछ समय बाद जब वह अपने घर वापिस आया तो उसके पिता ने उस से पूछ की वह अपनी माँ से पैसे लेकर गया वह उनके गाड़ी वाले क्यों दिए ! उसने श्याम के लिए पैसे क्यों खर्च किये , अगर मै भी उसकी तरह से पैसे को लुटाने लग जाओ तो उसकी पढ़ाई का खर्चा कौन उठेगा ! हम तो भीखारी हो जायेंगे लेकिन सुन्दर ने इसका कोई जबाब नही दिया उसी समय श्याम वंहा से गुजर रह था उस पर रहा नही गया और सुन्दर के पिता से बोला की सुन्दर ने वह पैसे मेरे लिए खर्चा किया है तो वह पैसे मै आपको दूंगा अगर इसके लिए मुझे आपकी गुलामी क्यों ना करनी पड़े और इस प्रकार जब श्याम खा कर जाने लगा तो उसके पिता के दिल में भी थोड़ी दया आ गयी और उनकी दोस्ती की खातिर श्याम को अपने व्यापर में ही काम पर रख लिया ! श्याम  और सुन्दर की मित्रता की चर्चा हर जगह होने लगी ! 

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